बैकुंठपुर:-जमीन घोटाले में रिटायर्ड अपर कलेक्टर के बाद तत्कालीन पटवारी और वर्तमान में आरआई गिरफ़्तार…

बैकुंठपुर:-जमीन घोटाले में रिटायर्ड अपर कलेक्टर के बाद तत्कालीन पटवारी और वर्तमान में आरआई गिरफ़्तार…

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बैकुंठपुर, 31 जनवरी। कोरिया जिले में रामपुर जमीन घोटाले में रिटायर्ड अपर कलेक्टर एडमंड लकड़ा के बाद तत्कालीन पटवारी और वर्तमान में आरआई फरीद खान को गिरफ्तार किया है। पुलिस आरआई पर काफी दिनों से कड़ी नजर रख रही थी, जिसके बाद रविवार की अलसुबह उन्हें पटना से गिरफ्तार किया और न्यायालय में पेश किया, जहां उसे उन्हें रिमांड पर जेल भेज दिया गया है।

इस संबंध में उप पुलिस अधीक्षक धीरेन्द्र पटेल का कहना है कि रामपुर की जमीन मामले में आरआई को गिरफ्तार किया गया है, अभी जांच जारी है। क्या इस मामले में और आरोपी पकड़े जाएंगे, के सवाल पर उनका कहना है कि अभी और आरोपियों को पकड़ा जाना है।
जानकारी के अनुसार रामपुर स्थित आदिवासी की भूमि को गैर आदिवासी को बेचे जाने को लेकर थाने में संतकुमार चेरवा ने एफआईआर दर्ज कराई थी, जिसकी जांच के बाद रिटायर्ड अपर कलेक्टर एडमंड लकड़ा को पुलिस ने गिरफ्तार कर रिमांड पर जेल भेज चुकी है, वहीं 4 माह में दो-दो बार उक्त भूमि की रजिस्ट्री की गई, जिसके दो बार चहोद्दी तत्कालीन पटवारी द्वारा बनाई गई, साथ ही जानते हुए कि आदिवासी की भूमि गैर आदिवासी को नहीं बेची जा सकती है, दस्तावेज बनाए गए और बिल्डर को लाभ दिलाया गया। उक्त आरोप के तहत आरआई फरीद खान को पुलिस ने आज तडक़े ही छापामार कर गिरफ्तार कर लिया।

दो बार हुई रजिस्ट्री
पुलिस आरआई को गिरफ्तार करने के पीछे कहानी यह बता रही है कि तत्कालीन पटवारी फरीद खान को इसकी पूरी जानकारी थी कि आदिवासी की भूमि गैर आदिवासी को बेची जा रही है, इसके पूरे दस्तावेज तत्कालीन पटवारी ने ही तैयार किए, जिसके बाद मामले की शिकायत हुई, और रजिस्ट्री को गलत माना गया, फिर बिना किसी सरकारी आदेश के तत्कालीन पटवारी ने रिकार्ड दुरूस्त किया गया, उसके बाद फिर उसी भूमि की दुबारा रजिस्ट्री बिल्डर के यहां कार्यरत कर्मचारी अरविंद के नाम से रजिस्ट्री की गई, दो-दो बार जमीन की चहोद्दी और तब भी सारे दस्तावेज तत्कालीन पटवारी ने बनाए। इसकी जानकारी अरविंद के परिवार को भी नहीं थी। कुछ वर्ष बाद अरविंद की मौत हो गई और नया मुख्तियारनामा संतकुमार चेरवा के नाम से बनाया गया। 


 
दरअसल, पुलिस सूत्रों की माने तो मामला तब श्ुारू हुआ, जब बिल्डर के यहां कार्यरत आदिवासी युवक संतकुमार चेरवा ने पुलिस में शिकायत की, उन्होंने रजिस्ट्री में गवाह के तौर पर हस्ताक्षर करना बताया और जब कागजात निकाले तो उन्हें पता चला कि उन्होंने ही जमीन बेची है, और उसके एवज में मिली रकम बिल्डर को मिली है। जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। जिसके बाद यह बात सामने आई कि संतकुमार के नाम से मुख्तियारनामा तैयार कर रजिस्ट्री की गई है, जबकि संतकुमार को कहना है कि उसको इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी कि उसके नाम से मुख्तियारनामा बनाया गया है। जिसके बाद पुलिस ने दस्तावेज खंगालना शुरू किया।

दरअसल, पुलिस सूत्रों की माने तो मामला तब श्ुारू हुआ, जब बिल्डर के यहां कार्यरत आदिवासी युवक संतकुमार चेरवा ने पुलिस में शिकायत की, उन्होंने रजिस्ट्री में गवाह के तौर पर हस्ताक्षर करना बताया और जब कागजात निकाले तो उन्हें पता चला कि उन्होंने ही जमीन बेची है, और उसके एवज में मिली रकम बिल्डर को मिली है। जिसके बाद पुलिस ने जांच शुरू की। जिसके बाद यह बात सामने आई कि संतकुमार के नाम से मुख्तियारनामा तैयार कर रजिस्ट्री की गई है, जबकि संतकुमार को कहना है कि उसको इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं थी कि उसके नाम से मुख्तियारनामा बनाया गया है। जिसके बाद पुलिस ने दस्तावेज खंगालना शुरू किया।
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