शहर के नालों के गंदे पानी को फिल्टर कर खारुन को गंदा होने से बचाने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की योजना अब तक पूरी नहीं हो पाई है। हालांकि 2018 में प्रोजेक्ट शुरु करने के समय 2020 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। निगम 11 में अब तक आठ किलोमीटर तक पाइपलाइन बिछाने का काम ही पूरा कर सका है। 3 किलोमीटर का बचा हिस्सा निजी जमीन में फंस गया है। निजी जमीन वाले अंडरग्राउंड पाइप लाइन बिछाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। निगम के अफसर जमीन मालिकों से समझौते का प्रयास कर रहे हैं। इस वजह से प्रोजेक्ट इस जून तक भी पूरा होने की उम्मीद नहीं है।
अमृत मिशन योजना के तहत 235 करोड़ रुपए की लागत से खारुन में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जा रहा है। इसके लिए नदी के किनारे-किनारे 11 किलोमीटर पाइपलाइन बिछाई जा रही है। इसी में करीब 3 किलोमीटर का हिस्सा ऐसा है, जिसमें प्राइवेट खेत हैं। एक भी खेत के मालिक अपनी जमीन के नीचे से पाइप लाइन बिछाने की अनुमति नहीं दे रहे हैं। निगम की ओर से हालांकि तर्क दिया जा रहा है कि पाइपलाइन जमीन के नीचे आठ-दस फीट की गहराई में होगी। इससे उन्हें किसी तरह की दिक्कत नहीं आएगी। अब तक वे कोई तर्क मानने को तैयार नहीं हुए हैं। इस वजह से काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है।
17 नालों का गंदा पानी होगा साफ
खारुन नदी में गिरने वाले 17 नालों का गंदा पानी इसी पाइपलाइन से चंदनीडीह, कारा और निमोरा गांव में पर बन रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचेगा। प्लांट में गंदे पानी को साफ किया जाएगा। उसके बाद नदी में छोड़ा जाएगा। इससे नदी का साफ पानी गंदा नहीं होगा।
210 एमएलडी के तीन प्लांट
अफसरों के अनुसार 11 किलोमीटर पाइपलाइन के बीच तीन जगहों पर तीन अलग-अलग प्लांट लगाए जा रहे हैं। इसकी कुल क्षमता 210 एमएलडी (मिलियन लीटर रोज) की है। चंदनीडीह में 75 एमएलडी, कारा में 35 एमएलडी और निमोरा में 90 एमएलडी का एसटीपी लगाया जा रहा है।
काम जल्द पूरा कर लेंगे
"खारुन एसटीपी को लेकर पूरा फोकस है। अफसरों को जल्द से जल्द काम पूरा करने के लिए कहा गया है। पाइपलाइन का मामला भी सुलझा लिया जाएगा।"
-एजाज ढेबर, महापौर रायपुर
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