दिवाकर मिश्रा & किरण जॉय
लॉकडाउन के बाद मजदूराें काे उनके घर सुरक्षित पहुंचाने के मकसद से रेलवे ने 12 मई से 1 जुलाई तक 81 दिनों के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई थी। रेलवे द्वारा चलाई गई कुल 87 श्रमिक स्पेशल रायपुर दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे में आई व गुजरी। इन ट्रेनाें में रायपुर से 858 श्रमिक चढ़े और करीबन 25 हजार श्रमिक रायपुर में उतरे। श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की दिशा में सराहनीय कार्य के लिए रायपुर मंडल के रायपुर पोस्ट के निरीक्षक पोस्ट प्रभारी दिवाकर मिश्रा और दुर्ग पोस्ट में तैनात महिला आरक्षक किरण जॉय को रेलवे सुरक्षा बल महानिदेशक रेल मंत्रालय की तरफ से प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। रायपुर मंडल से सिर्फ दो बल सदस्यों को सम्मानित किया गया है।
कइयाें के पास भाेजन के लिए भी नहीं थे पैसे, आर्थिक मदद की
महिला आरक्षक किरण जॉय ने बताया, शुरुआत में हर व्यक्ति कोरोना संक्रमण के खतरे से बहुत डरा हुआ था। स्टेशन में ट्रेन आते ही श्रमिक उतरकर भागने लगते थे। वे काफी परेशान थे। किसी नियम कायदे में पड़ना नहीं चाहते थे। ऐसी स्थिति में हम उन्हें समझाते थे कि इस महामारी से हम सबको मिलकर ही लड़ना हाेगा। कई ऐसे मजदूर भी मिले जिनके पास खाने तक के पैसे नहीं थे। ऐसे मजदूराें की मैंने फाइनेंशियल मदद भी की।
घर के बाहर ही खाना खाकर लौट आते थे, मजदूराें से सोशल डिस्टेंसिंग फाॅलाे करवाना था सबसे कठिन टास्क
दिवाकर मिश्रा ने बताया, शुरुआत में कोरोना संक्रमण फैलने का डर बहुत ज्यादा था। हमें अपने से ज्यादा परिवार की चिंता रहती थी, इसलिए पास हाेने के बावजूद राेज घर नहीं जाते थे। चार-पांच दिन में जब घर जाता तो पत्नी से कह देता कि खाना घर के बाहर ही रख देना। बाहर से ही खाना खाकर वापस लौट जाता। ऑफिस में ही आराम करते थे। जब ज्यादा मजदूर आ रहे थे तब कई बार ऐसा भी हुआ कि सोने के लिए भी समय नहीं मिला। कुछ दिनों बाद जब काेराेना संक्रमण की स्थिति काबू में आई ताे घर जाना शुरू किया। लेकिन तब भी अलग रूम में रहता था। घरवालाें से दूरी बनाकर रहता था। मजदूर वर्ग को समझाना बहुत बड़ा चैलेंज रहता था, सबको घर जाने की जल्दबाजी थी। सोशल डिस्टेंसिंग फॉलो करवाना कठिन टास्क था। कठिन हालाताें में भी हमने 100 परसेंट एफर्ट लगाकर काम किया।