
राज्य में केंद्र सरकार का हेल्थ वैलनेस सेंटर मॉडल बड़े शहरों में सफल नहीं हो सका। इसके विपरीत कोंडागांव, सूरजपुर, धमतरी और बस्तर जैसे जिलों में ज्यादा लोगों इसका लाभ लिया है। अब जनवरी से ई-संजीवनी ओपीडी मॉडल की शुरुआत राजधानी में बनाए जा रहे पहले हब सेंटर से होगी। इसके जरिए प्रदेश के किसी भी गांव या शहर का बीमार व्यक्ति 24 घंटे में कभी भी फेस टू फेस या वीडियो कॉल के जरिए हब सेंटर में बैठे विशेषज्ञ डॉक्टरों से अपनी बीमारी के संबंध में सलाह ले पाएंगे। हेल्थ वैलनेस सेंटर मॉडल के जरिए गांव या छोटे कस्बे के अस्पताल से ही जिले के बड़े डॉक्टरों से बीमारी के इलाज की सुविधा लेने के मामले में रायपुर व दुर्ग जैसे शहर सबसे नीचे हैं। इसकी तुलना में प्रदेश के दूरदराज के जिलों के लोगों ने इस सुविधा का ज्यादा फायदा लिया। अब तक प्रदेश के 27 जिलों में करीब 23 हजार लोग इस मॉडल के जरिए जिले में बैठे बड़े डॉक्टरों से अपनी बीमारी की सलाह ले चुके हैं।
छोटे जिले-गांव के मरीजों को मिली ज्यादा सुविधा
अभी प्रदेश में ई-संजीवनी के अंतर्गत हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर (एचडब्ल्यूसी) मॉडल संचालित है। इसके लिए अभी कोई भी मरीज अपने गांव-कस्बे के वैलनेस सेंटर में जाकर बीमारी के बारे में वहां मौजूद सीएच ऑफिसर को बताता है। वहां मौजूद डॉक्टर से इलाज संभव नहीं होगा तो जिला अस्पताल में बैठे सीनियर डॉक्टरों से इसे लेकर चर्चा करते हैं। इसमें अभी अलग-अलग जिलों के 209 डॉक्टरों की टीम जुड़ी है। प्रदेश में 1900 वैलनेस सेंटर में अब तक 22860 मरीजों को परामर्श का लाभ मिल चुका है। इसमें सबसे ज्यादा फायदा छोटे जिले व दूरदराज के गांव वालों को हुआ। सबसे ज्यादा कोंडागांव में 3561, सूरजपुर में 2199 के अलावा धमतरी में 2137, बस्तर में 1710, कोरबा में 1498, कवर्धा में 1264, सरगुजा में 1208 मरीजों को इससे फायदा हुअा। शहरी क्षेत्र में अधिक निजी अस्पताल व यातायात के संसाधन होने की वजह से इस योजना में बहुत कम लोग जुड़े। रायपुर में सिर्फ 79, दुर्ग में 130, महासमुंद 260 ने डॉक्टरी परामर्श लिया।
जिला अस्पताल में बनेगा ई-ओपीडी का सेंटर
ई-संजीवनी ओपीडी सेवा का सेंटर जनवरी में शुरू हो जाएगा। स्वास्थ्य विभाग की विशेष सचिव डॉ. प्रियंका शुक्ला ने बताया इसकी पूरी तैयारी हो गई है। अगले महीने से यह सुविधा मिलने लगेगी। इसके लिए 4-5 डॉक्टरों की टीम ई-संजीवनी ओपीडी हब सेंटर में ड्यूटी करेंगे। कोई भी गांव या शहर का व्यक्ति बिना अस्पताल जाए सेंटर में तैनात डॉक्टरों से अपनी बीमारी के बारे में बताकर इलाज व दवा ले सकते हैं। इसके बाद यह सेवा प्रदेश के अन्य कुछ जिलों में शुरू की जाएगी। इससे लोगों को घर बैठे ही डॉक्टर से फेस टू फेस या फोन पर बताकर ट्रीटमेंट मिल सकता है। स्वास्थ्य विभाग के उप संचालक डॉ. सुरेंद्र पामभोई ने बताया कि इसके लिए दिए गए मोबाइल नंबर या एप पर कोई भी मरीज अपना मोबाइल नंबर देकर रजिस्ट्रेशन करा सकता है। इसके बाद ओटीपी से उस नंबर का वेरिफिकेशन होगा। इसके बाद उसे टोकन मिलेगा और तय कुछ मिनट में डॉक्टर उससे बात कर बीमारी व समस्या के बारे में पूछेंगे। इसके बाद डॉक्टर की तरफ से ई-दवा की पर्ची मरीज के मोबाइल पर भेजी जाएगी।
अभी रायपुर से शुरुआत, प्रदेशभर के लोग ले सकेंगे लाभ
"ई-संजीवनी ओपीडी की सुविधा शुरू होते ही घर बैठे ही मरीजों को डॉक्टरी परामर्श मिलेगा। अगले महीने यह रायपुर जिला अस्पताल के हब सेंटर से शुरू हो जाएगा। इसके बाद जशपुर, जगदलपुर, बिलासपुर व दुर्ग में भी हब सेंटर बनेगा। इससे पूरे प्रदेश के लोगों को कम समय में 24 घंटे डॉक्टरी सुविधा फोन पर मिलेगी।"
-डॉ. प्रियंका शुक्ला, विशेष सचिव स्वास्थ्य
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