भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह शुभ मुहूर्त में संपन्न हुआ, मठ-मंदिरों में हुए आयोजन...

भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह शुभ मुहूर्त में संपन्न हुआ, मठ-मंदिरों में हुए आयोजन...

Avinash

भगवान श्रीराम और माता सीता का विवाह शनिवार को विवाह पंचमी के शुभ मुहूर्त में संपन्न हुआ। मठ-मंदिरों में उत्साह के साथ भगवान का ब्याह कराया गया। किसी आम शादी की तरह भक्त बाराती बनकर इसमें शामिल हुए और जमकर झूमे। जगह-जगह पटाखे फाेड़े गए। भक्तों में प्रसाद स्वरूप मिठाइयां भी बांटीं गईं।
शहर में सबसे पहले 1980 में पुरानी बस्ती स्थित गोपीदास मठ में रामजानकी विवाहोत्सव का आयोजन किया गया था। तब से यहां हर साल प्रभु श्रीराम और माता सीता का विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस बार भी यहां विवाह के संस्कार 10 दिसंबर से शुरू कर दिए गए थे। हफ्तेभर नवपरायण का पाठ चला। इसके बाद तीन दिन तक भगवान को हल्दी लगाई गई। शनिवार को ब्रह्ममुहूर्त में विवाह संस्कार शुरू करवा दिया गया। एक ओर पंडित मंत्रोच्चार कर विवाह संपन्न करा रहे थे तो दूसरी ओर भजन मंडलियों ने रघुनंदन बनाजी की आई है बारात... देखो सज धज के... राजा जनक की पोल में रामजी ने तोरण मारा....जैसे भजनों की प्रस्तुति देते हुए भक्ति रस बहाती रहीं। हालांकि, इस बार बारात नहीं निकाली गई।

संस्कृति से समाज को जाेड़ता है यह अद्भुत विवाह: राजीवनयन
महंत राजीवनयन शरण ने कहा कि त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने शिव धनुष तोड़कर विदेह राज जनक की प्रतिज्ञा को पूर्ण किया और अपने पिता की आज्ञा से विदेह कुलगुरु सतानंद की अनुशंसा पाकर वैदिक परंपरा से वैदेही जानकी जी का वरण किया था। समाज में सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना के लिए विगत 40 साल से गोपीदास मंदिर में यह अद्भुत विवाहोत्सव संपन्न कराया जा रहा है। इस दौरान पं. वासुदेव त्रिपाठी, पं. रविशंकर शास्त्री, राधाशरण झा, पं. तीरथ मिश्र, पं. वीरेंद्र शुक्ल, ईश्वरी वर्मा, पूरण पांडेय मौजूद रहे।
दूधाधारी मठ में भगवान का विशेष शृंगार, सीता की रसोई में बंटा प्रसाद
इधर, दूधाधारी मठ में भी रामजानकी विवाहोत्सव धूमधाम से मनाया गया। विवाह पंचमी पर भगवान राम और सीता समेत लक्ष्मण, भरत-शत्रुघन का विशेष शृंगार किया गया था। भक्तों केे लिए सीता की रसोई में प्रसादी भी बनाई गई थी जहां सैकड़ों भक्तों को प्रसाद परोसा गया। मठ के मुख्तियार रामछबिदास ने बताया, विवाह पंचमी पर राम सीता का विवाह कराने की परंपरा 500 साल पुरानी है। वैसे तो हर बार यह उत्सव बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण को देखते हुए सभी कार्यक्रम सादगी से संपन्न कराए गए।

अखंड पाठ... टिकरापारा में लोगों ने सुना विवाह प्रसंग
टिकरापारा स्थित हनुमान मंदिर में अखंड पाठ चल रहा है। शनिवार को यहां विवाह प्रसंग सुनाया गया। इस दौरान चंद्रपाल धनगर, मोहन साहू, विमल दुबे, अश्वनी महाराज, विमल तिवारी, रामजी साहू, लल्लू दुबे, संजू धनगर, मोहन महराज, गोलू महाराज आदि मौजूद रहे।



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