कैट के राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर आज सरगुजा कैट ने रिटेल लोकतंत्र दिवस मनाया... जिला कलेक्टर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया...

कैट के राष्ट्रीय नेतृत्व के आह्वान पर आज सरगुजा कैट ने रिटेल लोकतंत्र दिवस मनाया... जिला कलेक्टर को प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन दिया गया...

@धीरज सिंह//अंबिकापुर।।
कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के अध्यक्ष रविन्द्र तिवारी, प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश अग्रवाल एवं प्रदेश मंत्री शुभम अग्रवाल ने एस डी एम को ज्ञापन सौंपा जिसमे कैट सरगुजा ने बताया कि देश में अनेक बड़ी ई कॉमर्स कंपनियों जिनमें विशेष रूप से विदेशी अथवा विदेशी निवेश से पोषित ई कामर्स कंपनियों द्वारा भारत के ई कॉमर्स एवं रिटेल व्यापार में लगातार एफडीआई पालिसी एवं विभिन्न कानूनों का खुला उल्लंघन करते हुए ई कॉमर्स एवं देश के रिटेल व्यापार को अपने कुटिल चंगुल में फंसा रखने के खिलाफ यह ज्ञापन पत्र है। व्यापारी संगठनों ने  रिटेल लोकतंत्र दिवस के रूप में मना कर बड़ी ई कामर्स कंपनियों की मनमानी के खिलाफ प्रचंड विरोध शुरू कर दिया है।

 ज्ञापन में मांग किया गया है कि भारत के ई कॉमर्स व्यापार के सुनियोजित संचालन के लिए एक ई कॉमर्स पालिसी तुरंत घोषित की जाए जिसमें एक मजबूत एवं अधिकार संपन्न ई कॉमर्स रेगुलेटरी अथॉरिटी का गठंन भी किया जाए वहीं दूसरी और कैट ने यह भी मांग की है की एफडीआई पालिसी के प्रेस नोट 2 की विसंगतियों और लचीले प्रावधानों को समाप्त करते हुए सरकार एक नया प्रेस नोट जारी करे।
कैट ने यह भी मांग की है की  प्रधानमंत्री श्री मोदी के लोकल पर वोकल एवं आत्मनिर्भर भारत को जमीनी स्तर पर अपनाने एवं उसको किर्यान्वित करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर, राज्य स्तर पर एवं देश के सभी राज्यों में जिला स्तर पर एक संयुक्त क्रियान्वयन कमेटी का गठन किया जाए जिसमें व्यापारियों एवं अधिकारियों को शामिल किया जाए ! कैट ने कहा है की यदि यह कदम उठाया गया तो निश्चित रूप से लोकल पर वोकल एवं आत्मनिर्भर भारत जैसे कार्यक्रमों के द्वारा भारत के घरेलू व्यापार को बेहद मजबूत किया जा सकता है वहीँ भारत के निर्यात व्यापार को भी बड़े तरीके से बढ़ाया जा सकता है जिससे वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी तेजी के साथ बढ़ेगी ।वर्तमान में देश का ई कॉमर्स व्यापार एवं रिटेल व्यापार चारों तरफ से बड़ी विदेशी कंपनियों ने या विदेशी निवेश वाली कंपनियों ने अपने कब्जे में कर रखा है जिससे देश के छोटे व्यापारियों को व्यापार का नुकसान हो रहा है। यह सभी कंपनियां सरकार की एफडीआई पालिसी के प्रावधानों और अनेक कानूनों का सीधा उल्लंघन कर रही हैं और लगातार इनके खिलाफ शिकायत करने के बाद भी इन पर अभी तक कोई प्रभावी कार्यवाई नहीं हुई है जिससे इन कंपनियों के हौंसले और अधिक बुलंद हो गए हैं और ये खुले रूप से कानूनों का उल्लंघन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। व्यापारियों ने अब चुप न बैठकर इन विदेशी कंपनियों अथवा विदेश निवेश से पोषित कंपनियों के खिलाफ बड़ा हमला पूरे देश में बोल दिया है और यदि शीघ्र ही इन कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई तो मजबूर होकर देश के व्यापारियों को आंदोलन शुरू करना पड़ेगा। ज्ञातव्य है की कोरोना लॉक डाउन से पहले ई कॉमर्स कंपनियों का व्यापार केवल 7 प्रतिशत था जो अब कोरोना के बाद जब बाजार खुले हैं तो 24 प्रतिशत हो गया है जिसकी मुख्य वजह इन कंपनियों द्वारा कानून का उल्लंघन कर लागत से भी कम मूल्य पर माल बेचने जैसे अनेक अवैध व्यापारिक गतिविधियां शामिल हैं ! देश का रिटेल व्यापार वर्तमान में लगभग 950 बिलियन डॉलर वार्षिक का है जबकि रिटेल व्यापार में लगभग 45 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है और देश में कुल खपत में रिटेल बाजार का हिस्सा 40 प्रतिशत है ! इतने बड़े और विशाल भारतीय रिटेल बाजार पर कब्जा जमाने के लिए विश्व भर की कंपनियों की नजर है और इसी छिपे उद्देश्य को लेकर ई कॉमर्स कंपनियां भारत में हर तरह का अनैतिक व्यापार करते हुए रिटेल बाजार पर अपना एकाधिकार स्थापित करना चाहती हैं और ईस्ट इंडिया कम्पनी का दूसरा संस्करण बनते हुए देश को आर्थिक गुलामी की तरफ ले जाना चाहती हैं ।

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