प्रदेश में जितने लोग कोरोना से संक्रमित हुए, उनमें 90 फीसदी से अधिक ने इस बीमारी को मात दी और स्वस्थ हो गए। एक्टिव केस कम हो रहे हैं, इसलिए ठीक होने वालों मरीजों और नए संक्रमितों की संख्या का अंतर घटने लगा है। पौने 3 करोड़ की आबादी वाले प्रदेश में मार्च 18 से दिसंबर के पहले हफ्ते तक केवल 0.8 फीसदी आबादी ही (1 हजार में केवल 8 लोग) कोरोना की चपेट में आए हैं। पूरे कोरोना काल में प्रदेश में 28 लाख से ज्यादा लोगों के टेस्ट किए जा चुके हैं। इसमें 35 फीसदी टेस्ट आरटीपीसीआर हैं, जो दुनिया में फिलहाल सर्वाधिक भरोसमंद माने जाते हैं।
दिसंबर के शुरूआती छह दिनों में औसतन 11 सौ मरीज रोजाना होम आइसोलेशन (घर) और अस्पताल से डिस्चार्ज हो रहे हैं। अर्थात, केवल 6 दिन में साढ़े 8 हजार से ज्यादा मरीज स्वस्थ हो चुके हैं। जबकि इस अनुपात में संक्रमितों की तादाद आठ हजार के आसपास रही है। एक लाख 36 हजार से ज्यादा मरीज घर में इलाज के जरिए ही स्वस्थ हुए हैं। अस्पताल में अब तक करीब 88 हजार मरीज भर्ती होने के बाद ठीक हुए हैं। मार्च के शुरूआत में मिले पहले कोरोना मरीज को स्वस्थ होने में लगभग 19 दिन लगे थे। अब मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज होने की अवधि एक हफ्ते से दस दिन के बीच है। प्रदेश में अस्पताल में इलाज करवा रहे मरीज एक बार फिर औसतन दस दिन के अंदर ठीक हो रहे हैं। इस वजह से अस्पतालों के कोरोना वार्ड में जगह बनती जा रही है।
एक्टिव केस की ऑडिट के बाद और सुधार भी संभव
जानकारों के मुताबिक जब 28 जिलों में एक्टिव मरीजों के ऑडिट के बाद कोरोना सक्रिय मरीजों की जब वास्तविक संख्या सामने आने लगेगी, तब रिकवरी रेट में दो से चार प्रतिशत की वृद्धि और हो सकती है। फिलहाल रायपुर जिले के ही तीन हजार से ज्यादा एक्टिव मरीज का आंकड़ा बैकलॉग में गैरजरूरी तौर पर शामिल किया जा रहा है। इसके चलते साढ़े 19 से 20 हजार केस अब भी सक्रिय के तौर पर दिखाई दे रहे हैं।