
कोरोना संदिग्धों की तलाश के लिए शुरु किए गए हेल्थ सर्वे में अब तक कोरोना के सर्दी, खांसी, बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षणों वालों करीब ढ़ाई लाख लोग पहचाने जा चुके हैं। लेकिन चौंकाने वाली जानकारी ये है कि जिनका सर्वे हुआ है, उनमें से 80 फीसदी से ज्यादा यानी लगभग 2 लाख लोगों ने सर्वे टीमों को अपना फोन नंबर भी सही नहीं बताया है। हाईरिस्क ग्रुप यानी वृद्ध, बीमार और बच्चों के सर्वे में लगी टीमों में से ज्यादातर ने अपनी रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि ये वही 2 लाख लोग हैं, जिन्होंने लक्षण तो बताया लेकिन मेडिकल स्टोर्स और मितानिनों से दवाई लेने और उससे ठीक होने की जानकारी दी है। मितानिनों और हेल्थ वर्कर्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उन पर दबाव बनाकर सर्दी-बुखार की दवाइयां मांगी जाती हैं और कहा जाता है कि इस बारे में ऊपर सूचना नहीं देनी है।
हेल्थ विभाग ने अक्टूबर में प्रदेश में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच इस सर्वे की शुरूआत की थी। इस सर्वे में केवल रायपुर में 900 टीमें लगी थीं। दो लोगों की इस टीम को हफ्ते में 500 घर कवर करने थे। इन टीमों ने नोडल अफसरों को बताया है कि आधे से ज्यादा लोग तो कोरोना सर्वे टीम का पता चलते ही घर का गेट नहीं खोलते। जिन्होंने टीमों से बातचीत की और स्वीकार किया कि उन्हें सर्दी-बुखार है, लेकिन उन्होंने जांच, अस्पताल जाने और इलाज से साफ इंकार कर दिया है।
ऐसे दो लाख लोग हैं और टीमों ने नोडल अफसरों के सामने यह खुलासा भी किया कि ऐसे 25 हजार से ज्यादा लोगों ने टीमों को जो मोबाइल नंबर दिए, वह गलत थे। यही वजह है कि इतने लंबे-चौड़े सर्वे का अब तक कोई बड़ा लाभ नजर नहीं आया है।
प्रदेश के 28 जिलों में कोरोना एक्टिव सर्विलांस के तरह अब तक कई प्रकार के सर्वे हो चुके हैं। सर्वे की शुरूआत जून के महीने में जिला प्रशासन ने नगर निगम के साथ मिलकर की थी, इस सर्वे में भी कई सारे चरणों में जानकारी जुटाई गई, लेकिन इसका नतीजा भी उतना प्रभावी नहीं रह पाया। अब तक जिला प्रशासन, नगरीय प्रशासन, स्कूल शिक्षा विभाग स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर कई सारे सर्वे किए। फिलहाल दिसंबर के अंत तक हर हफ्ते दो बार किए जा रहे सर्वे को मितानिन और स्वास्थ्य कार्यकर्ता कर रहे हैं। हालांकि कुछ जिलों में कोरोना की स्थिति सुधरी है और वहां से यह रिपोर्ट आ रही हैं कि ज्यादातर लोगों ने बीमारी नहीं छिपाई, जांच भी करवाई और पाजिटिव निकलने पर अस्पताल भी गए।
"जहां-जहां हाईरिस्क हेल्थ सर्वे में बड़े आंकड़े आ रहे हैं, लेकिन मरीज कम नहीं हो रहे हैं, वहां की टीमों के इनपुट पर फोकस किया है। यही नहीं, आंकड़ों की वास्तविक ऑडिट भी कर रहे हैं, ताकि पता चले कि इतने बड़े सर्वे के बावजूद मरीज कम क्यों नहीं हुए।"
-डॉ. सुभाष पांडे, मीडिया प्रभारी, हेल्थ विभाग
एक्सपर्ट -डॉ. विष्णु दत्त, डीन, नेहरू मेडिकल कॉलेज
समय से जांच करानी जरूरी
कोरोना जांच में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर सर्दी खांसी बुखार जैसे लक्षण हैं तो जांच करवा लेने में समझदारी है। आम तौर पर कोरोना वायरस पांच दिन के अंदर फेफड़े और शरीर के दूसरे हिस्सों को संक्रमण की चपेट में ले लेता है। अगल जल्दी जांच करवा ली जाए तो ये रिस्क खत्म हो जाता है।
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