राजधानी के बड़े चौराहों पर सिग्नल सबसे ज्यादा टूट रहे हैं। जयस्तंभ और शारदा चौक जैसे भीड़ भरे चौराहे पर 23 और 29 सेकेंड का ग्रीन सिग्नल दिया जा रहा है, जबकि 108 सेकेंड तक रेड सिग्नल में ट्रैफिक काे रोका जा रहा है। इस तरह के आधा दर्जन प्रमुख चौराहे हैंं और यहीं ट्रैफिक नियम तोड़ा जा है। पुलिस तैनात होने के बावजूद कोई न कोई वाहन चालक सिग्नल जंप कर चौराहा पार कर रहा है। ट्रैफिक पुलिस के सर्वे में खुलासा हुआ कि ऐसे चौराहों पर चारों ओर से आने वाली सड़क पर ट्रैफिक का प्रेशर अलग-अलग है। किसी रोड से कम तो किसी से ज्यादा गाड़ियां आती हैं। ऐसे में जिस रोड से कम वाहन आते हैं वहां तो सभी गाड़ियां ग्रीन सिग्नल में गुजर जाती हैं, लेकिन जिस रोड से ज्यादा ट्रैफिक आता है, वहां कई वाहन चालकों को दो बार सिग्नल ग्रीन होने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसे ही चौराहे पर वाहन चालक यहां सिग्नल तोड़कर चौक पार कर रहे हैं।
ऐसे चौराहों पर अब व्हीकल ऑटोमेटिक कंट्रोल सिस्टम लगाया जाएगा। इस सिस्टम में रेड और ग्रीन सिग्नल को कैमरा कंट्रोल करेगा। कैमरा देखेगा कि वाहनों की कतार लंबी है तो ग्रीन सिग्नल का समय बढ़ा देगा, कतार खत्म होते ही सिग्नल रेड हो जाएगा। शहर में सिग्नल तोड़ने वाले चौराहों पर सबसे आगे खजाना तिहारा वाला चौक है। इसमें शास्त्री चौक की ओर से आने वाले वाहन चालक सबसे ज्यादा सिग्नल तोड़ रहे हैं।
दरअसल इस चौराहे के चारों ओर का टाइमिंग एक ही फिक्स है, लेकिन राजभवन की ओर से आने वाली सड़क से कम गाड़ियां आती हैं। रेड सिग्नल होने पर जितनी भी गाड़ियां स्टॉप लाइन पर ठहरती हैं, वे सिग्नल ग्रीन होने पर सभी चौराहा पार कर लेती हैं, लेकिन उसके बाद भी सिग्नल ग्रीन रहता है। इससे जय स्तंभ चौक की ओर से आने वाले वाहनों को बेवजह स्टॉप लाइन पर खड़ा रहना पड़ता है, जबकि इस ओर से सबसे ज्यादा वाहन तेलीबांधा की ओर जाते हैं। इस ओर का सिग्नल ग्रीन होने पर स्टॉप लाइन पर खड़े सभी वाहन चौराहा पार नहीं कर पाते और सिग्नल रेड हो जाता है। ऐसे में काफी देर से खड़े कोई न कोई वाहन चालक रेड सिग्नल में ही चौराहा पार कर लेते हैं। यही स्थिति शहर के औलिया चौक, फायर ब्रिगेड चौक, महिला थाना, आश्रम तिराहा, लोधीपारा अवंति बाई, सिद्धार्थ चौक और अनुपम नगर चौराहे की है। इन चौराहों पर दो ओर से आने वाली सड़कों पर ज्यादा ट्रैफिक रहता है, जबकि बाकी दो सड़क से अपेक्षाकृत कम वाहन आते हैं, लेकिन चारों तरफ के सिग्नल का टाइमिंग एक ही फिक्स है। यानी जिस ओर से ज्यादा वाहन आते हैं, उस ओर भी ग्रीन सिग्नल उतनी ही देर रहता है, और जिस ओर से कम वाहन आते हैं, उस तरफ भी ग्रीन सिग्नल उतनी ही देर के लिए फिक्स किया गया है। ऐसे में कम ट्रैफिक वाली सड़क से आने वाले सारे वाहन तो गुजर जाते हैं, लेकिन ज्यादा ट्रैफिक वाली सड़क के सभी वाहन नहीं गुजर पाते और सिग्नल रेड हो जाता है। ऐसे में कई वाहन वालों को ग्रीन सिग्नल के लिए दो बार इंतजार करना पड़ता है।
ऑटोमेटिक सिग्नल से सिस्टम सुधरेगा
डीएसपी सतीश ठाकुर ने बताया कि शहर के सिग्नल को ऑटोमेटिक किया जा रहा है। हर चौक पर कैमरा लगाया गया है। स्टॉप लाइन से 150 मीटर की रेंज में कैमरे का फोकस है। इस रेंज में जितने भी गाड़ियां खड़ी हो या लगातार गाड़ियां आते रहेंगी, तब तक सिग्नल ग्रीन मिलेगा। गाड़ियों के बीच गैप आने पर सिग्नल रेड जा जाएगा। सिग्नल को ऑटोमेटिक इसलिए किया जा रहा है कि ताकि जिस चौक पर ट्रैफिक ज्यादा है। वहां पर सिग्नल ज्यादा देर ग्रीन रहे। जहां गाड़ियां कम है, वहां पर कम समय मिले।
पुलिस चौक-चौराहों का करेगी सर्वे
एसएसपी अजय यादव ने ट्रैफिक अधिकारियों को शहर के सभी चौराहों का सर्वे करने को कहा है। उन्होंने कहा है कि किस तरह की तकनीकी खामियां होने पर उसकी रिपोर्ट तैयार की जाए। सिग्नल का पालन क्यों नहीं हा़े रहा? कहां पर टाइमिंग गड़बड़ है? जेब्रा क्रॉसिंग का पैदल चलने वाले क्यों उपयोग नहीं कर रहे हैं? जहां पर जाम ज्यादा लग रहा है तो क्यों? चौराहों की सर्वे करके एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी है। उसके बाद खामियां को दूर की जाएंगी।
जयस्तंभ चौक पर केवल 23 सेकेंड का समय
जयस्तंभ चौक पर मालवीय रोड से केके राेड जाने वालों को ग्रीन सिग्नल 23 सेकेंड का मिल रहा है। जबकि रेड सिग्नल 108 सेकेंड रखा गया है। चौराहे पर मालवीय रोड से आने वाले वाहनों की संख्या ज्यादा रहती है, लेकिन सड़क संकरी होने के कारण एक साथ ज्यादा वाहन नहीं गुजर पाते और वाहन चालकों को दो बार ग्रीन सिग्नल का इंतजार करना पड़ता है। इसी तरह से शास्त्री चौक से शारदा चौक जाने वालों को 29 सेकेंड का समय मिलता है। इसी तरह से औलिया चौक में भी 23 सेकेंड का समय मिलता है, लोग एक बार में चौक पार नहीं कर पाते और लोगों को लगभग डेढ़ मिनट सिग्नल पर रूकना पड़ता है।