छत्तीसगढ़ के बेहराडीह की महिलाओं के मशरूम की डिमांड अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और जर्मनी तक...

छत्तीसगढ़ के बेहराडीह की महिलाओं के मशरूम की डिमांड अमेरिका, कनाडा, आस्ट्रेलिया और जर्मनी तक...

Avinash

बलौदा ब्लॉक के बेहराडीह ग्राम पंचायत पहले ही जैविक खेती के मशहूर हैं, लेकिन यहां की मशरूम की अब अमेरिका, आस्ट्रेलिया और कनाडा से हो रही है। कच्चा मशरूम व उसे बना पाउडर 2000 रुपए किलो में बिक रहा है। अब तक चार देशों से मशरूम की डिमांड आ चुकी है। गांव में बिहान गंगे मईय्या स्व सहायता समूह के कोषाध्यक्ष पुष्पा यादव ने बताया कि बेहराडीह की महिलाएं गौठान में नियमित मशरूम उत्पादन कर रही है।

इसकी शुरुआत उन्होंने बहुत कम संसाधनों से की थी, पर अब यह तेजी से बढ़ते जा रहा है। बेहराडीह के अलावा आसपास की अन्य महिला समूह भी मशरूम उत्पादन कर रही है। इसके लिए उन्हें गेहूं भूसी या फिर पराली से बने पैरा कुटी की आवश्यकता पड़ती है।

इसे पॉलीथिन में एयर टाइट कर ऑयस्टर मशरूम (ढींगरी खुंभी) का उत्पादन कर रहे हैं। यह एक तरह का लिग्निन सेल्युलोज वाले पौधों के अवशेष पर बढ़ने वाला कवक है। इस मशरूम में पाए जाने वाले पोषक तत्वों के कारण इसकी डिमांड पूरे विश्व भर में है।

स्कूलों में अंडे की जगह अब मशरूम परोसने का आदेश

दिल्ली में बैठक के दौरान कृषि मंत्री के समक्ष छत्तीसगढ़ के रामप्रसाद केशरवानी और चांपा के दीनदयाल यादव ने अंडे की जगह मशरूम परोसने की मांग की थी। इसके पीछे इन्होंने मशरूम को अंडे से 10 गुना ज्यादा पोषक तत्व होने की बात बताई थी। उनकी बातों पर सहमति जताते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने इसे लागू करने की बात कही और 28 सितंबर 2020 को केंद्र ने आदेश भी जारी किया, वहीं इस आदेश के बाद अब जिला पंचायत मनरेगा के तहत जिले के गौठानों में मशरूम शेड का निर्माण करा रहा है।

चार साल से महिलाओं को दे रहे प्रशिक्षण

बेहराडीह के दीनदयाल यादव ने नेहरू युवा केंद्र दिल्ली जाकर 1998 में मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण लिया था। वापस आने के बाद उन्होंने पहले अपने गांव की महिलाओं को प्रशिक्षित कर उत्पादन शुरू किया। इसके बाद दूसरे गांव में लोगों को इसकी जानकारी दी। ग्रामीण स्वरोजगार के माध्यम से वे बीते चार साल में सौ से ज्यादा समूहों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दे चुके हैं।

समूह से जुड़कर महिलाएं कर रहीं मशरूम का उत्पादन

जिले में करीब 7 हजार स्व सहायता महिला समूह काम कर रही है। इनमें पामगढ़, बम्हनीडीह, बलौदा और सक्ती में सबसे ज्यादा सक्रिय समूह है। इन्हीं क्षेत्रों के समूह नियमित मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। इनके मशरूम की डिमांड देश के बड़े होटलों के अलावा अब विदेशों में भी हो रही है।

ये है विदेशों में मशरूम के खरीदार

  • कनाडा- पैट्रिक कैल्विन
  • आस्ट्रेलिया- मिस ना, एनजीओ
  • अमेरिका-मैरीलीना, क्रिश साइंटिस्ट
  • जर्मनी- मिस नीना


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