छठ महापर्व पर शहर में आस्था की छटा बिखर गई। नदी-तालाब के घाटों में लोगों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया। फिर दीपदान कर समृद्धि की ऊर्जा देने की कामना भी की और दीपदान किया। इस बार शहर के करीब 40 तालाबों में छठ पूजा का आयोजन किया गया था। इसमें शामिल हुए सभी व्रती इस दौरान मास्क पहने नजर आए।
शुक्रवार को छठ महापर्व का तीसरा दिन सूर्य देव के नाम रहा। शाम को लोग नदी-तालाब के किनारे जुटे और डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। व्रती अपने साथ सजी हुई टोकरियां भी लाए थे जिसमें भगवान को भोग चढ़ाने के लिए ठेकुआ, खजूर समेत नाना तरह के पकवान और फल रखे गए थे। शहर में मुख्य आयोजन महादेवघाट में हुआ। लोगों की ज्यादा भीड़ न लगे, इसलिए यहां आयोजन समिति की ओर से 100 सदस्यीय टीम तैनात की गई थी। टीम के सदस्यों ने सभी को सैनिटाइज करने के बाद ही घाट में प्रवेश दिया। जो श्रद्धालु किसी कारणवश अपने साथ मास्क नहीं ला पाए थे उन्हें यहां मास्क भी मुहैया कराया गया। समिति के अध्यक्ष राजेश सिंह ने बताया कि कोरोना से बचाव के लिए जरूरी सभी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए इस बार छठ महापर्व मनाया जा रहा है। इस बार न तो सांस्कृतिक कार्यक्रम हो रहे हैं और न ही भोग भंडारा का आयोजन किया गया है। गौरतलब है कि पिछले साल तक महादेवघाट की छठ पूजा
देखने के लिए कई राज्यों से श्रद्धालु रायपुर पहुंचते थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते इस बार शहर से भी कम ही लोग पूजा के लिए महादेवघाट पहुंचे।
आज समापन - उदयाचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर व्रती तोड़ेंगे 36 घंटे लंबा व्रत
शनिवार को 4 दिनी छठ महापर्व का आखिरी दिन है। इस मौके पर भोजपुरी समाज के लोग सुबह-सुबह एक बार नदी-तालाबों के घाट में जुटेंगे। यहां उदयाचलगामी यानी उगते हुए सूरज को अर्घ्य दिया जाएगा। फिर घाट पर ही हवन भी किया जाएगा। इसके बाद व्रती घर जाएंगे और कच्चा दूध पीकर 36 घंटे लंबा व्रत तोड़ेंगे। बता दें कि छठ सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस दौरान जितना कठिन कुछ खाए-पिए रहना जितना कठिन है, उतनी ही कठिनाई व्रत तोड़ते वक्त भी होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि तक कुछ निर्जला व्रत रखने की वजह से बाद में गला छिलने का खतरा रहता है। यही वजह है कि डॉक्टर भी तरल पदार्थ से व्रत तोड़ने की सलाह देते हैं। इस दौरान विपिन सिंह, परमानंद सिंह, रवींद्र सिंह, पंकज अग्रवाल, वेदनारायण सिंह, रवींद्र शर्मा मौजूद रहे।
अर्घ्य की अनुमति उसे दी जो मास्क पहनकर आया
सड्डू तालाब में भी बड़ी संख्या में लोग अर्घ्य देने पहुंचे। आयोजन समिति ने यहां केवल उन्हीं व्रतियों को अर्घ्य की अनुमति दी जो मास्क पहनकर आए थे। सभी व्रतियों को घाट पर खड़े होने के लिए टोकन भी बांटा गया था, ताकि फिजिकल डिस्टेंसिंग बनी रहे। देर शाम तक चली पूजा में स्थानीय पार्षद भी शामिल हुईं।