कोरोना के मामले में राजधानी ही नहीं, प्रदेश के हेल्थ अमले के सामने नई परेशानी यह आई है कि जो संक्रमित मरीज अक्टूबर तक 7 से 10 दिन में स्वस्थ हो जाते थे, अब 12 से 15 दिन ले रहे हैं। यानी मरीजों को ठीक होने में पहले के मुकाबले इस माह औसतन डेढ़ गुना ज्यादा समय लग रहा है। यह नजर भी आने लगा है, क्योंकि पिछले 15 दिन में अस्पताल या होम आइसोलेशन से स्वस्थ और डिस्चार्ज घोषित किए गए मरीजों की संख्या काफी कम हो गई है। इसी माह की बात करें तो नवंबर के 15 दिनों में 21404 कोरोना मरीज ही स्वस्थ हुए हैं। जबकि अक्टूबर के इन्हीं 15 दिनों में 31222 मरीज स्वस्थ होकर होम आइसोलेशन या अस्पताल से डिस्चार्ज हो गए थे। डाक्टरों के मुताबिक इसकी वजह एक ही है, अब जो मरीज आ रहे हैं वह ज्यादा वायरल लोड वाले या फिर गंभीर प्रकृति के हैं।
नवंबर में कोरोना मरीजों की संख्या में पिछले 5 दिन से ही थोड़ी वृद्धि हुई है, अर्थात संक्रमण बढ़ने की दर ज्यादा नहीं है। लेकिन दिक्कत ये है कि जो भी मरीज आ रहे हैं, वह कोरोना के शुरुआती दौर के मुकाबले गंभीर हैं। भास्कर को विशेषज्ञों ने बताया कि दरअसल ठंड का मौसम और देरी से जांच करवाने की प्रवृत्ति इन हालात की वजह है। देरी से जांच के कारण इलाज देरी से शुरू हो रहा है। तब तक मरीजों को काफी नुकसान हो जाता है और ठीक होने में वक्त लग रहा है।
स्वस्थ होने में ऐसी देरी
स्वास्थ्य विभाग के ही हेल्थ बुलेटिन के अनुसार 9 से 23 नवंबर तक 15 दिनों में अस्पतालों से 2392 से डिस्चार्ज हुए। वहीं होम आइसोलेशन में 19012 मरीज ठीक हुए। रोजाना का औसत निकाला जाए तो अस्पतालों से 159 लोग डिस्चार्ज हो रहे हैं। जबकि होम आइसोलेशन में 1267 लोग कोरोना को मात दे रहे हैं। 17 से 31 अक्टूबर तक अस्पताल से 4790 मरीज डिस्चार्ज हुए थे तथा होम आइसोलेशन में 26532 लोग कोरोना से ठीक हुए। यानी 15 दिनों में ही स्वस्थ होने वालों की संख्या घट गई है।
इस माह सिर्फ 169 मरीजों की ही छुट्टी
राजधानी रायपुर में मरीजों की स्वस्थ होने की दर संभवत: प्रदेश में सबसे ज्यादा असंतोषजनक है। नवंबर के 15 दिनों यानी 9 से 23 नवंबर तक केवल 169 लोगों की छुट्टी विभिन्न अस्पतालों से हुई है। यह प्रदेश में हुए कुल डिस्चार्ज का केवल 7 फीसदी है। होम आइसोलेशन में जरूर 2527 लोग ठीक हुए। यह प्रदेश में हुए ठीक हुए मरीजों का 9.52 फीसदी है। अक्टूबर की बात करें तो रायपुर में अस्पतालों से 431 व होम आइसोलेशन में 2836 मरीज ठीक हुए थे। यह नवंबर से 18 फीसदी ज्यादा है।
नवंबर के आंकड़े
- प्रदेश 21404
- रायपुर 2696
अक्टूबर के आंकड़े
- प्रदेश 31322
- रायपुर 3292
लक्षण दिखते ही जांच और इलाज शुरू करें, खतरा कम रहेगा
"एम्स में रिफरल मरीज आ रहे हैं, जो गंभीर होते हैं। वे कोरोना के साथ दूसरी बीमारियों से भी ग्रस्त रहते हैं, इसलिए मौतें ज्यादा हैं। अगर लोग लक्षण दिखते ही जांच और इलाज शुरू करेंगे तो खतरा कम रहेगा।"
-डॉ. नितिन एम नागरकर, डायरेक्टर एम्स
"नवंबर में गंभीर मरीज ज्यादा हैं, इसलिए ठीक होने में समय लग रहा है। औसतन मरीज 12 से 15 दिनों में ठीक हो रहे हैं। इसकी वजह देरी से जांच है। लक्षण दिखते ही जांच कराएं और गंभीर होने से बचें।"
-डॉ. आरके पंडा, सदस्य कोरोना कोर कमेटी