@छत्तीसगढ़ (वेब न्यूज़)//सीएनबी लाईव।।
प्रदेश में 38 लाख घरों तक पानी पहुंचाने पीएचई की जल जीवन मिशन योजना बड़े विवाद के घेरे में आ गई है। प्रदेश में करीब 13 हजार करोड़ रुपए की इस योजना में अधिकांश ठेके हो गए। इतना ही नहीं अब तक हुए 7 हजार करोड़ के ठेके में 6 हजार करोड़ के काम एक ही कंपनी, वह भी दूसरे राज्य की कंपनी को दे दिया गया।
इस कंपनी ने कुछ स्थानी फर्मों के साथ कंसोर्टियम बनाकर ठेके हासिल किए। ऐसी गड़बड़ियों की शिकायत के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मुख्य सचिव आरपी मंडल, एसीएस वित्त अमिताभ जैन और पीएचई सचिव कोमल सिद्धार्थ परदेसी की जांच कमेटी बना दी है। राज्य बनने के बाद यह अब तक की सबसे बड़ी कमेटी है।
अभी यह काम शुरू नहीं हुआ है। सीएम ने निर्देश दिया है कि जांच कमेटी की रिपोर्ट आने के बाद ही वर्क आर्डर जारी होंगे, यानी इस योजना का काम शुरू होगा।
यह योजना मुख्यत: ग्रामीण इलाके में हर जगह पानी की सप्लाई की है। लाइन बिछाने पर आधारित है। इसमें जो भी खर्च आने वाला है, उसका 45 प्रतिशत केंद्र सरकार, 45 प्रतिशत राज्य सरकार और 10 प्रतिशत संबंधित पंचायतों को वहन करना है। यह योजना केंद्र ने इसी साल लांच की है। प्रदेश में जल संसाधन विभाग (पीएचई) इस योजना को संचालित कर रहा है। इसका स्वरूप यह है कि 20 हजार पंचायतों में हर घर तक नलों की लाइन पहुंचानी है। पिछले कुछ दिन से शिकायतें आ रही थीं कि इसी काम के लिए मैदानी इलाकों के लिए लगभग 7 हजार करोड़ रुपए के ठेके बाहरी कंपनियों को दे दिए गए हैं। प्रदेश के ठेकेदारों को नक्सल प्रभावित और घने वन वाले इलाकों का छोटा-छोटा काम ही दिया गया है। इस मामले में विभाग के एक इंजीनियर की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ गए हैं।
सत्तारूढ़ दल में बड़ा विरोध
बताया जा रहा है कि इसके ठेकों को लेकर कांग्रेस में विरोध चरम पर पहुंच गया था। पिछले दिनों कांग्रेस नेताओं और राज्य के ठेकेदारों ने सीएम से इस बात की शिकायत की थी कि बाहर की कंपनियों को मैदानी इलाकों में काम दिया गया, जबकि स्थानीय लोगों को नक्सल प्रभावित तथा दूरस्थ अंचल में काम सौंपा गया।
38 लाख घरों तक पहुंचेगा पानी
छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप लाइन के माध्यम से 43.17 लाख घरों में से अब तक 4.82 लाख (11% ) घरों में ही पानी की सप्लाई की जा रही है। जल जीवन मिशन के माध्यम से 38.34 लाख घरों में पानी सप्लाई का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसके तहत साल 2024 तक हर घर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है।
4500 करोड़ के ठेके पूरी तरह से संदेह के दायरे में
इस मामले में कंपनियों के लिए टेंडर शर्ते काफी लचीले बनाए गए थे। इसका फायदा उठाते हुए कई कंपनियों ने ठेके हासिल किए। यह बात सामने आई है कि प्रदेश के बाहर की कुल 44 कंपनियों को काम दिया गया। इतना ही कुछ को रेट कांट्रेक्ट कर काम दिया गया । इन्हें तीन चौथाई काम दिए गए। करीब 4500 करोड़ के ठेके पूरी तरह से संदेह के दायरे में है। विभाग ने पाइप निर्माता, इंजीनियरिंग और कंप्यूटर और उसकी एसेसरीज बनाने वाली अनुभवहीन कंपनियों को भी काम दे दिया गया। इससे नाराज प्रदेश के फर्मों और ठेकेदारों ने सीएम बघेल और पार्टी के अन्य हलकों में इसकी शिकायतें की थीं। इस संबंध में बताया गया है कि योजना के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आफर बुलाए गए थे। ऐसे नियम बने कि यदि किसी कंपनी के पास अनुभव नहीं है तो वह ज्वाइंट वेंचर कर टेंडर कर सकती है। इसमें वह स्थानीय कंपनियों को शामिल कर सकती है। लेकिन कुछ ने ऐसा किया कुछ ने नहीं। इन बाहरी कंपनियों को उनके टर्नओवर पर रेट कांट्रेक्ट पर ही काम दिया गया। इस छूट का फायदा महाराष्ट्र, गुजरात ,तेलंगाना की कंपनियों को मिला। मैदानी इलाकों के काम बाहरी कंपनियों को दिया गया। इनमें पटेल इंजीनियरिंग मुंबई, लक्ष्मी इंजीनियरिंग कोल्हापुर, गाजा इंजीनियरिंग तेलंगाना,सुधाकर इंफोटेक हैदराबाद, एनएसटीआई कंस्ट्रक्शन कंपनी हैदराबाद, पीआर प्रोजेक्ट इंफ्रास्ट्रक्टर दिल्ली प्रमुख हैं। पीएचई में ए-श्रेणी के ठेकेदारों के लिए काम की असीमित पात्रता है, बी-श्रेणी वालों के लिए 10 करोड़, सी-श्रेणी वालों के लिए 2 करोड़ और डी-श्रेणी वालों के लिए एक करोड़ की पात्रता निर्धारित है। लेकिन शिकायतें यह की गईं कि डी-श्रेणी के ठेकेदारों को भी 4 से 10 करोड़ रुपए तक का काम दे दिया गया।
"कहीं कोई गड़बड़ी नहीं है। शासन ने जांच बिठाई है। उस पर कुछ भी नहीं कहूंगा, कोई वर्जन नहीं दूंगा।"
-एमएल.अग्रवाल, प्रभारी ईएनसी पीएचई
"मुख्यमंत्री ने मेरी अध्यक्षता में मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई है। मैने पीएचई सचिव ने अब तक की कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।"
-आरपी मंडल, सीएस