कलेक्टर को इस बात की शिकायत मिली थी कि कहीं भी घूमने और संदिग्ध लोगों को पर कार्रवाई की जाती है तो ऐसे लोग कोरोना को लेकर लापरवाही बरतते हैं। जिससे कई अफसर कोरोना पॉजिटिव हो गए। इसलिए ऐसी परिस्थितियों को रोकने के लिए ही अब एंटीजन टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है।
जांच रिपोर्ट में कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव आता है तो उसे डेडिकेटेड कोविड-19 केयर सेंटर या अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा। उसके ठीक होने के बाद फिर से उसे कोर्ट में पेश किया जाएगा। रिपोर्ट निगेटिव होने के बाद अफसर केस की सुनवाई करेंगे। इस काम में कोई भी थाना प्रभारी लापरवाही बरतेगा तो उस पर सीधी कार्रवाई की जाएगी। प्रतिबंधात्मक धाराओं की सुनवाई करने वाले अपर और डिप्टी कलेक्टरों से भी कहा गया है कि वे पहले कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट देेखें और उसके बाद ही सुनवाई की प्रक्रिया शुरू करें। अफसरों का दावा है कि जिले में हर दिन 2500 से ज्यादा कोरोना सैंपलों की जांच की जा रही है। इनमें से करीब 600 टेस्ट आरटीपीसीआर, 1600 टेस्ट रेपिड एंटीजेन और करीब 300 जांच ट्रू नाॅट से हो रही है।