मिट्टी के रावण की लाठियों से वध की 124 साल पुरानी परंपरा पर कोरोना ने लगाया ब्रेक...कागज के पुतले जले...

मिट्टी के रावण की लाठियों से वध की 124 साल पुरानी परंपरा पर कोरोना ने लगाया ब्रेक...कागज के पुतले जले...

Avinash

@मुंगेली (वेब न्यूज़)//सीएनबी लाईव।।

जिले में बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा उत्साह के साथ मनाया गया। दशहरा पर्व पर इस बार 124 साल से चली आ रही परम्परा टूट गई। इस बार मिट्टी के रावण नहीं बने और लाठियों से उनका वध नहीं किया जा सका।
बता दें कि 124 वर्षों से कुम्हार पारा के राजाराम कुंभकार का परिवार पीढ़ियों से मिट्टी का रावण बनाते आ रहा था। यह परम्परा इस बार खंडित हो गई। पिछले वर्ष चुनावी आचार सहिंता के चलते राजनीतिक लोग रावण दहन से वंचित रह गये थे। वहीं कोरोना ने इस बार लोगों को इससे वंचित कर दिया। जिसके चलते सबसे अधिक भीड़ जुटने वाले दशहरा में सीमित लोगों के मध्य सीमित स्थानों पर रावण का दहन हुआ। बता दें कि मुख्य समारोह बीआर साव स्थित खेल परिसर में भीड़ की उपस्थित में होता था। इस बार मुख्य समारोह स्टेडियम में सादगी से और सीमित संख्या में परम्परा का निर्वहन करते हुए मनाया गया। इस बार कोरोना के चलते भीड़ को रोकना आयोजन समिति के लिए परेशानी का सबब था। इसके चलते सीमित संख्या में पर्व मनाने आयोजन समिति ने रावण दहन का कार्यक्रम घोषित ही नहीं किया। कोरोना के चलते जिला प्रशासन की गाइड लाइन के अनुसार समिति दशहरा मनाने की परम्परा जारी रखना चाहती थे लेकिन जुटने वाली भीड़ आयोजकों के लिए चुनौती थी। इसलिये आयोजन समिति ने सार्वजनिक रूप से मुख्य समारोह मनाने की जानकारी घोषित नहीं की थी। जिसके चलते सीमित लोगों की मौजूदगी में रावण दहन का कार्यक्रम हुआ। मुख्य समारोह बीआर साव स्थित खेल परिसर में हुअा। इसमें राम द्वारा रावण का वध कर परम्परा का निर्वहन करते हुए दशहरा मनाया गया। बड़ा बाजार में भी आयोजन समिति द्वारा रावण का निर्माण कराया गया था। जहां भी लोगों ने उत्साह से पर्व मनाया। मुख्य समारोह सीमित होने के कारण लोगों ने गली चौराहों में रावण दहन किया। इसमें रामगोपाल तिवारी वार्ड सहित नगर के विभिन्न स्थानों में पर्व मनाया गया।

यादव परिवार करता है लाठियों से रावण का वध
इक्रोफ्रेंडली रावण के वध के पूर्व गोवर्धन परिवार के सदस्य पूजा-अर्चना के बाद यादव समाज द्वारा रावण का वध किया जाता था। बता दें कि मुंगेली में ऐसे बहुत सारे कार्य पुराने समय से परम्परागत रूप से चले आ रहे हैं जिससे मुंगेली नगर की पहचान होती है। यह परम्परा भी इसी की एक कड़ी है। नगर के लोगों का मनाना है ऐसी परम्पराओं को जिनसे नगर की पहचान बनती है। आगे भी उसके स्वरूप के साथ मनाना चाहिए।

1896 से गोवर्धन परिवार के लिए बनाते आ रहे रावण
मुंगेली में दशहरा मनाने की विशेष परंपरा लम्बे समय से चली आ रही है। 1896 से मालगुजार गोवर्धन परिवार के लिए कुम्हार पारा के राजा कुंभकार का परिवार पीढ़ियों से मिट्टी के इकोफ्रेंडली रावण का निर्माण करते आ रहा है। गोवर्धन परिवार के मार्गदर्शन व उनकी उपस्थिति में मिट्टी के रावण का वध यादव समाज द्वारा लाठी मारकर करने की परम्परा आज भी बरकरार है। दशहरे पर गोवर्धन परिवार के लोग नागपुर, पुणे, रायपुर, बिलासपुर से परम्परागत त्योहार को मनाने के लिए आते हैं।

पुणे और नागपुर से पहुंचे गोवर्धन परिवार के सदस्य
इस बार भी गोवर्धन परिवार के सदस्य पुणे निवासी सुनील गोवर्धन, नागपुर से विवेक किरपेकर, बिलासपुर से अशोक गोवर्धन मुंगेली पहुंचे। नगर के मुकुंद राव गोवर्धन और श्रीकांत गोवर्धन सहित गोवर्धन परिवार ने इस कोरोना संक्रमण के चलते परम्परागत भीड़ को रोकने में आ रही समस्या को देखते हुए मिट्टी के रावण के वध के कार्यक्रम स्थगित कर अपने घरों में पूजा-अर्चना कर दशहरा पर्व मनाया।



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