पाटेश्वर धाम से घर बैठे लोगों तक पहुंचाया जा रहा वेदों का ज्ञान... सत्संग की महिमा से रूबरू हो रहे लोग...

पाटेश्वर धाम से घर बैठे लोगों तक पहुंचाया जा रहा वेदों का ज्ञान... सत्संग की महिमा से रूबरू हो रहे लोग...

         
|ब्यूरो•बालोद|पीयूष साहू|
सत्संग अर्थात् ईश्वर के संग से जीवात्मा व मनुष्य को अनेक लाभ होते हैं। इससे आत्मा के दुगुर्ण, दुर्व्यसन और दुःख दूर होते हैं। आत्मा का ज्ञान निरन्तर बढ़ता जाता है। ईश्वर के सान्निध्य में रहने से दुःख दूर तो होते ही हैं, आनन्दस्वरूप ईश्वर के सान्निध्य में आनन्द की अनुभूति होती है। परंतु कोरोना काल मे  ईश्वर का यह संग अर्थात सत्संग से सभी वंचित है, पाटेश्वर धाम के संत राम बालक दास जी द्वारा अपने भक्तों को सीधे ईश्वर से साक्षात कार कराने हेतु ऑनलाइन सत्संग का आयोजन उनके सीता रसोई वाट्सएप  संचालन ग्रुप में प्रातः 10:00 से 11:00 बजे और दोपहर 1:00 से 2:00 बजे प्रतिदिन किया जाता है जिसमें सभी साधक जुड़कर अपनी जिज्ञासाओं को संत श्री के समक्ष प्रस्तुत करते हैं और उनको बाबाजी के अद्भुत ज्ञान द्वारा तृप्त करते हैं, पिछले 4 माह से आयोजित यह सत्संग, आज पूरे भारतवर्ष में प्रसिद्ध है!

देशव्यापी साधु संत भी इसमें जुड़ कर अपनी वाणी द्वारा साधकों को अपना अमूल्य समय देते हैं,एवं ज्ञान रूपी गंगा प्रवाहित करते हैं, राम बालक दास जी के द्वारा उनके यूट्यूब चैनल पर प्रतिदिन संध्या 4:00 बजे बाबाजी की पाती कार्यक्रम प्रसारित किया जाता है, जिसमें पाटेश्वर धाम तीर्थ से संबंधित विभिन्न जानकारियां तो प्रदान की ही जाती है साथ ही साथ विभिन्न धार्मिक विषयों पर भी अमूल्य जानकारी हमें प्राप्त होती है!
           
आज सत्संग परिचर्चा में, बाबा जी ने  बताया कि हमारे ऋषि-मुनियों द्वारा चारों वेद पुराण, गरुड़ पुराण देवी पुराण,  ब्रह्मा पुराण, विष्णु पुराण, उपनिषद आदि अनेक ग्रंथों की रचना की गई है, जिसमें हमारे हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के विभिन्न रूपों का वर्णन है, लीलाओ का वर्णन है, उनकी वेशभूषा उनकी सवारी  आदि का वर्णन हमारे ग्रंथों में हमें प्राप्त होता है, आज बाबा जी ने परिचर्चा में इसी विषय को स्पष्ट किया कि किसी भी देवी देवताओं के परिधान उनके आभूषण और उनकी सवारी से किस प्रकार यह आध्यात्मिक और वैज्ञानिक रूप से हमारे जीवन से जुड़ा है!
                
भारतीय संस्कृति में सभी देवी देवताओं ने अपने साथ प्रकृति के अलग अलग अंगों जीव-जंतुओं पशुओं पक्षीयों को जोड़कर यही संदेश दिया है कि यह वही देश है जो मनुष्य होने का धर्म निभाता है क्योंकि मनुष्य को परमात्मा ने इसी लिए बनाया है कि वह पूरी प्रकृति व सृष्टि की रक्षा कर सकें ना कि उसका भक्षक बने अतः देवी देवताओं का संबंध प्रकृति के साथ है चाहे वे उनके आभूषण रूप में हो या वाहन रूप में हम प्रकृति का सम्मान करें उन्हें श्रद्धा रूप में देख सकें
 हम देखते हैं कि मां शीतला की सवारी गधा  है,  अग्नि बकरे पर सवारी करते हैं इंद्रदेव हाथी पर,,  मां सरस्वती हंस पर, कमल पर ब्रह्मा विराजे हैं लक्ष्मी उल्लू की सवारी करती है तो मां अंबे शेर की सवारी करती भैरव जी का कुत्ता  वाहन है तो कृष्ण गाय के  साथ विचरण करते है शिव भोले नंदी पर विष्णु भगवान जी शेषनाग पर, इस प्रकार हमारे देश में प्रकृति के हर रूप को स्थान दिया गया है सम्मान दिया गया है पूजा का स्थान प्राप्त है इस देश में भगवान ने भी प्रकृति के जीव जंतु रूप में अवतार लिया जैसे वाराह सुकर अवतार मत्स्य अवतार कच्छप अवतार क्योंकि हर जीव का सम्मान होना आवश्यक है हमारी हिंदू संस्कृति हमें प्रकृति का सम्मान करना और प्रकृति से जुड़े हर जीव जंतु पशु पक्षी का सम्मान करना सिखाती है!
               
हम ही नहीं पूरा जगत भी यह कहता है कि भगवान श्रीराम हो कृष्ण हो या भगवान के कोई भी 24 अवतार उनका जन्म भारत में ही हुआ है जैसे थाईलैंड के ग्रंथ कबीबा में राम जी और रावण का युद्ध वर्णित है सुग्रीव और बाली का भी युद्ध वर्णित है यही नहीं देश विदेशों में रामायण की कथा का मंचन भी किया जाता है उसमें स्पष्ट लिखित होता है कि यह भारत की कथा हैं  वे कभी दावा नहीं करते कि श्री राम का जन्म कहां हुआ है श्रीलंका में रामेचा  ग्रंथ गाया जाता है, परंतु वहां भी इसे भारतीय रूप में ही वर्णित किया गया है जो कि हमारे लिए गौरव का विषय है बाबा जी ने बताया कि मॉरीशस में श्रीराम के अद्भुत भक्त हुए, भारतीय मूल के राम गुलाम जो कि मोरिशस के राष्ट्रपति हुए उन्होंने वहां मॉरीशस में रहकर श्री राम के नाम का विस्तार तो किया ही प्रचार तो किया ही साथ ही उन्होंने रामायण अकैडमी की स्थापना वहां की उन्होंने श्री राम महाविद्यालय की स्थापना की जहां पर राम जी के चरित्र पर डिग्री भी दी जाती है भारत का कीर्तिमान आज संपूर्ण विश्व में श्री राम जी के कारण है अभी हपने श्री राम जी को यह सम्मान नहीं दिला पाया जो कि विदेश में रहने वाले रामगुलाम जी ने कर दिखाया धर्म प्रधान देश होते हुए भी श्री राम का वह सम्मान यहां की राजनीतिक पार्टीया ना कर सके!
       
इसी प्रकार दक्षिण अफ्रीका में भी हमारे भारतीय साधु ने 200 साल पहले साधु बेला जगह पर रहकर ग्रंथ की रचना की तब से वहां पर नवरात्रि शिव पूजा गणेश स्थापना मनाई जाती है तो वहां भी जब लोग रामायण पढ़ते हैं तब वहां कभी यह दावा नहीं करते कि राम जी का जन्म दक्षिण अफ्रीका में हुआ था वह भी यह पूरी तरह से मानते हैं कि उनका जन्म और यह कथाएं भारत की है इस प्रकार हमें समस्त विश्व के ग्रंथों में भी प्रमाण मिलता है कि राम का जन्म भारत में हुआ था यह केवल भारत नहीं संपूर्ण विश्व मानता है कि सभी हिंदू देवी देवताओं का भले उनकी कथाएं  विश्व में विख्यात हो लेकिन जन्म भारत में हुआ है!
      
बाबा जी ने बताया कि क्योंकि अभी गणेश पक्ष चल रहा है गणेश जी की विशेष पूजा होती है, तब आप सबको ज्ञात होना चाहिए कि उनका दर्शन उनके मूषक सवारी के बिना अधूरा है अतः उनका दर्शन जब भी करे तो मूषक के साथ ही करें!!!
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